“मानचित्र में जो मिलता है, नही देश भारत है। भू पर नहीं, मनों में ही बसा,कहीं शेष भारत है।” -दिनकर
जन गण मन भारत भाग्य विधाता। पर ये भारत कौन है ? क्या सिर्फ एक देश या एक राष्ट्र या एक बृहद परिवार या फिर लोगो के अंदर बसे भारतीयता का भौतिक रूप। हमारे पूर्वजों ने तरह तरह से भारत को परिभाषित करने की कोशिश की श्री नेहरू जी ने लिखा कि यहां के लोग ही वास्तव में भारत है,सावरकर जी ने लिखा कि इस भूमि को अपनाने वाला भारतीय है,गांधी जी ने कहा कि असली भारत गांव में है। पर क्या भारत की इतनी व्याख्या प्रयाप्त है?और क्या सबको स्वीकार्य है? चलिए भारत को जानने और समझने के लिए अथाह समुंदर में गोता लगाते है।
पंजाब का नौजवान मुंडा जब कर्नाटक के कन्नड से मिलता है तो उनमें लगभग कोई सामान्यता नहीं होती है,असम का कार्बी समुदाय जब छत्तीसगढ़ के भिलों से मिलता है तो क्या सामान्यता होती है दोनों में?भारत का हर क्षेत्र एक दूसरे से भिन्न है फिर इन्हें एक सूत्र में कौन पिरोता है? वो क्या है जो उत्तर भारत के लग्न को दक्षिण भारत के कल्याणम से जोड़ती है। वो क्या है जो भांगड़ा और ओडिसी को एक छत के नीचे लाती है। वो क्या है जो पहाड़ियों और तटीय लोगो को एक बनाती है, वो क्या है जो हमको आपसे जोड़ता है, ये सामाजिक एकता ,ये समरसता और ये अपनापन कहा से आया है। इन सबका उत्तर शायद भारत के इतिहास में छुपा है।
इसका जवाब कुछ हद तक इसमें निहित है कि भारत के पास अपना क्या है जिसपर उसको नाज़ है तथा जो बहुत मूल्यवान है।इस ओर नजर दौड़ाने पर जो चीज सबसे पहले हमारे समक्ष आती है वो है प्राचीन सिंधु-सरस्वती सभ्यता जो कि आज हमें पड़ोसी मुल्कों से बांटना पड़ रहा है। पृथ्वी पर मानव सभ्यता के चरम बिन्दु थी ये सभ्यता ,सिंधु नदी किनारे बसे इसी सभ्यता से हमें हमारी पहचान मिली जिसे आज हम गर्व से अपनाते है इसके तत्पश्चात हमारे पास जो सबसे अमूल्य चीज है वो हैं वेद और उपनिषद, महान ऋषि और मनिषिओ द्वारा रचित ये ज्ञान के भंडार का कोई विशेष उगदम स्थान नहीं है,ये तो पूरे भारतवर्ष में ये फैले महान आत्माओं के ज्ञान का संगम है। ये सबकी सांझी विरासत है। भारत के लोक आस्था और आम जन मानस के जीवन में जितना प्रभाव श्री मर्यादा पुरषोत्तम राम का है शायद उतना किसी का नहीं है।फिर आती है जीवनदायिनी गंगा जिसका गुजरात में भी उतना ही प्रताप है जितना उत्तरप्रदेश या कर्नाटक में।अन्य नदिया भी आस्था के केंद्र है। हमारे इतिहास के गहन अध्ययन से एक बात स्पष्ट होती है कि भारत के स्वाधीनता संग्राम के तीन मुख्यबिंदू रहे बंगाल,पंजाब और गुजरात ,गौर करने की बात है कि ये तीनों क्षेत्र भारत के तीन कोने में है तथा एक दूजे से हर स्तर पे भिन्न है परन्तु उनका उद्देश्य पंजाब या गुजरात को आज़ाद कराना कभी नहीं रहा अपितु उनका उद्देश्य समस्त भारतभूमि को आज़ाद करना था।हमारे संस्कृति ही हमें एक बनाती है,सुदूर दक्षिण में बसे श्री रामेश्वर ज्योर्तिलिंग हो या उत्तर के पहाड़ों में केदारनाथ पूर्व में जग्गनाथ धाम हो या पश्चिम में सोमनाथ ये भारत के धार्मिक सरहदों पे स्थित है। जब सुदूर उत्तर भारत के घर में धार्मिक कार्यों में संकल्प करने के लिए कावेरी और गोदावरी नदियों का नाम मंत्रो में उच्चरित होता है तब भारत एक होकर जुड़ता है,जब मोक्षदायिका पुरियो में हरिद्वार से कांची और बनारस से द्वारका का ज़िक्र आता है तब भारत एक होता है। फिर जिस तरह से ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ भारत ने एक होंकर बुनियादी लड़ाई उसने एक फिर देश में एकता का भाव भर दिया अंत में जब भारत के संविधान में हम भारत के लोग लिखा गया तब भरत का भारत फिर से एक बार एक हो गया।कुछ तथाकथित इतिहासकार ये बताते है कि भारत तो सन् 1947 में बना उससे पहले इसका कोई अस्तित्व नहीं है, उन ताथातथिक विद्वानों को हमारे लोकसमता और धर्म के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है। उनके लिए यही कहना भर उचित है की अगर भारत 1947 में बना तो कोलंबस और वास्को द गमा किस भारत के खोज में निकले थे?
लेख के अग्र भाग में उठाए गए सवालों का जवाब अब मिलने लगा है। भले ही पंजाबी और कन्नड में बहुत भिन्नता है लेकिन उनकी भारत रूपी चादर इन भिन्नता को ढक देती है। छत्तीसगढ़ के भिलो में और असम के कार्बी समुदायों ने साथ मिलकर ब्रितानी को यहां से भगाया है। भारत को एक भारत, भारत की सांझी विरासत बनाती है उसकी आस्था ,उसकी श्रद्धा बनाती है। यहां के लोगो की धर्म परायणता, यहां की नदिया,पहाड़े,गीत संगीत के प्रति श्रद्धा और प्रेम भाव एक बनाते है। भारत के लोगो को एक सूत्र में इनकी सांझी विरासत और स्वर्ण इतिहास पिरोती है तथा वर्तमान समय में इन मोतियों को एक माला में भारत के संविधान ने पिरोये रखा है। भारत के एक वृहद परिवार का सांझी संकृती और विरासत है।
Well if you ask me now there are two more factors which unites India unknowingly Cricket and well Pakistan oofcourse 🙂 though on a serious note good work.
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iss diplomatic defination koo insta ke zamane mei kon janta hei ….
mere leye too voo sare logg bharat hei joo ipl mei apni team ke nam ke danke bajate hei… leken india ki match mei sabki duvaye same nikalti hei …..
dj muhram mei baje ya ganpati visarjan mei joo bharat puri bhid ke bich mei nachna pasand kata hei vaihe too bharat hei…
besak laddu bohat pasand hei iss bharat ko lekn kisne kaha fav food sirf ek hona chaiye … bhai iss bharat koo too christmas mei aunty ki cake b pasand hei … aur chacha jan ke gar ki sevai b …..
kisse puch raihe ho saval kon bharat hei … tu mei hum yeahe too bharat hei …. 2 page ki describtion mei baya ho jaye voo bharat hota too bhala voo b kya apna bharat hota
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Insta ka zamana ho ya fb ka Bharat ki atma hamesha yahi rahegi, bharat koi 1947 me paida nhi hua h. Desh aur rashtra me farq hota ipl aur ladoo se Rashtra define nhi hua krte h ,Rahi bat Muharram aur christmas well,i have no problem with that but they cannot define bharat,Bharat unke janm se pahle se tha aur unke end ke bad tak rahega, Yha m secularity ka dhol nhi pitne aya. Ha akhiri baat apki sahi h ki bharat in do page ke description se bahut bada h.
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भरतो से भारः
अग्नी सूर्य के भरत नाम से भारतः
और भारती के नाम से भारतः
भारत के नामकरण मे बल, त्याग और ज्ञान यह तीन आदर्श छिपे है :
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